एक समय की बात है। मिस्र में एक अंग्रेज काहिरा की ओर जा रहा था। रास्ते में उसे एक अकेला बूढ़ा आदमी चलता हुआ मिला। अंग्रेज को दया आ गई। उसने अपनी गाड़ी रोक कर उस बूढ़े आदमी से पूछा, "आप कहाँ जा रहे हैं?"
"काहिरा जा रहा हूँ।" वृद्ध ने उत्तर दिया।
पता नहीं वृद्ध के व्यक्तित्व में क्या आकर्षण था, अंग्रेज़ ने न्योता दिया, "आइए, मेरी गाड़ी में बैठ जाइए। मैं आपको ले चलता हूँ। आपके पूरे पाँच दिन बच जाएंगे।"
वृद्ध पहले हतप्रभ हुआ, फिर धीरे से मुस्कुरा कर ना की मुद्रा में सर हिलाते हुए कहा - "पर पाँच दिन बचा कर मैं उस समय का करूंगा क्या?" - ऐसा कह कर, वृद्ध ने अंग्रेज़ से विदा ली और चलने लगा।
ये मेरे जीवन की सबसे महत्वपूर्ण कथाओं में से है। समय और पैसा, किसी गेम करन्सी जैसे हैं। जब हम कोई गेम खेलते हैं, तो उसका पैसा उसी गेम में कमाते हैं, और वहीं खर्च करते हैं। उस पैसे को गेम के बाहर न तो लाया जा सकता है, न ही उसका गेम के बाहर कोई मोल है।
हमारे जीवन में भी, पैसा और समय, ऐसे ही हैं। इस जीवन के बाहर, न तो उनका कोई मोल है, न उन्हें ले जाया जा सकता है। समय बचाना तो अच्छी बात है। पर उस समय का करोगे क्या, यह और भी महत्वपूर्ण है।
पैसा कमाना और संजोना, दोनों अच्छी बातें हैं, पर उस पैसे का प्रयोजन क्या है, उसका उपयोग क्या है, यह और भी महत्वपूर्ण है।
पाँच दिन बचाकर, हम करेंगे क्या?
अमूमन गेम में हम उस XP और पैसे को खर्च कर के, कुछ सीख लेते हैं। जीवन का भी ऐसा ही है। उस पैसे और समय (XP) को तो गेम से बाहर नहीं ले जाया जा सकता, पर गेम खेलते खेलते हम जो सीखते हैं, उसे साथ ले जाया जा सकता है।
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